गुरुवार

साहित्य मधेपुरा में

सुबह का इंतजार कर

- भूपेंद्र नारायण " मधेपुरी"

कोसी तट पर
मछेरे सूरज ने
किरणों के जाल को समेट कर
अपने घर की राह ली
सुबह का इन्तिज़ार कर

उसी तट पर बच्चे जब
बालू के घरोंदे बनाकर
खेलने आयेंगे
अपनी गायों-बच्च्रों को साथ लेकर
चराने निकलेगा जब कोई कन्हैया

बंद परे जल पर
पानी के इंतजार में
खरी हो कर परोसिनो की कुछ
रहस्यमय बातें फुसफुसाकर
बतियाने के लिए उत्सुक होंगी
दो परोसिने ।

मुंडेर पर मुर्गे देंगे बांग कौए अपनी उपस्थिति को
कांव - कांव कर दर्ज कराएँगे
और मन्दिर में बजेंगे शंख
तभी कोई बच्चा / जवान फुल तोरने घुस आयेगा
परिसर में दबे पाँव ।
लिंक एक्सप्रेस सिटी बजाती स्टेशन पर रुकेगी
रिक्शों की आवाजाही से
सुबह टहलने वालों की गतिविधि से टूटेगा सन्नाटा सड़क का ।

-वृन्दावन ,आजाद नगर ,
मधेपुरा ,बिहार




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