मंगलवार
मामूली आदमी का घोषणा पत्र
मामूली आदमी हूँ
असमय मरुँगा
तंग गलियों में
संक्रमण से
सड़क पार करते हुए
वाहन से कुचल कर
या पुलिस लाकअप में
माफ करना मुझे
अदा नहीं कर सकूँगा
मैं अपना पोस्टमार्टम खर्च !
- अरविन्द श्रीवास्तव
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हमें बनना था सभी के लिये और शामिल होना था सभी मे। हमें बातें करनी थी पत्तियों से और तितलियों के लिये इकट्टा करना था ढेर सारा पराग । हमें बचानी थी नारियल के लिये पानी और चूल्हे के लिये आग । हमें रहना था अनार में दाने की तरह, मेंहदी में रंग, और गन्ने में रस बनकर । हमें यादों में बसना था लोगों के मटरगश्ती भरे दिनों सा और दौड़ना था लहू बनकर शवों की नब्ज में । लेकिन अफ़सोस कि हम ऐसा कुछ नहीं कर पाये, जैसा करना था हमें। शिक्षा - एम0ए0, पी-एच0 डी0, जन्म एव कर्म स्थल - मधेपुरा। पत्राचार पता - कला कुटीर, अशेष मार्ग, मधेपुरा, बिहार । मोबाइल - 094310 80862